आर्यसमाज संध्या मंत्र
ओ३म भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात ।। ओं शन्नो देवीरभिष्टयsआपो भवन्तु पीतये। शंयोरभिस्रवन्तु नः।। ओं वाक वाक – इस मंत्र से मुख का दायां और बायां भाग, ओं प्राणः प्राणः – इससे नासिका के दायां और बायां छिद्र, ओं चक्षुः चक्षुः – इससे दायां और बायां नेत्र, ओं श्रोत्रं श्रोत्रं – इससे दायां और बायां श्रोत्र, ओं नाभिः – इससे नाभि, ओं हृदयम – इससे हृदय, ओं कण्ठः – इससे कण्ठ, ओं शिरः – इससे शिर, ओं बाहुभ्यां यशोबलम – इससे भुजाओं के मूल-स्कन्ध और ओं करतलकरपृष्ठे – इस मंत्र से दोनों हाथों की हथेलियां एवं उनके पृष्ठ भाग ओं भूः पुनातु शिरसि – इस मंत्र से शिर पर, ओं भुवः पुनातु नेत्रयोः – इससे दोनों नेत्रों पर, ओं स्वः पुनातु कण्ठे – इससे कण्ठ पर, ओं महः पुनातु हृदये – इससे हृदय पर, ओं जनः पुनातु नाभ्याम – इससे नाभि पर, ओं तपः पुनातु पादयोः – इससे दोनों पैरों पर, ओं सत्यम पुनातु पुनः शिरसि – इससे पुनः शिर पर और ओं खं ब्रह्म पुनातु सर्वत्र - ओं भूः, ओं भुवः, ओं स्...