आंध्रप्रदेश

आंध्रप्रदेश के महत्त्व को बताती हुई कविता 

आंध्र की धरती, सोने सी चमकती,

चावल के खेतों में, हरियाली महकती।

सूरज की किरणों से, भरी है यह काया,

संस्कृति की मिठास, जैसे मीठा साया। 

समृद्धि की पावन धरा,

धर्म का है यहाँ मेला।

भगवानों की छवि में बसी,

आस्था का है ये खेला।

कांची की रेशमी साड़ियाँ,

कला का है अनुपम संगम।

पारंपरिकता की धारा में,

छिपा है समृद्धि का रंगम।

तेलुगु बोलने में मिठास,

संस्कृति का बुनता है आस।

गाने में, नृत्य में जादू,

यहाँ की पहचान है अद्भुत आधार।

गोदावरी का पवित्र जल,

सभी दुखों को करता दूर।

किसानों की मेहनत में,

खुशियों का है ये नूर।

पुल्हा और रसम का स्वाद,

आंध्र के खाने की है बात।

मसालों की खुशबू से भरी,

हर निवाले में है सच्ची मिठास

संक्रांति और दशहरा,

हर दिल में भरते रंग।

संस्कृति की इस बहार में,

हर मन में बसी है उमंग।

तिरुपति का बालाजी,

सबकी श्रद्धा का आधार।

सच्ची भक्ति का प्रतीक,

हर दिल में बसा है ये प्यार।

कृष्णा की लहरों का गीत,

संगीत सा बहता जाए।

हर मोड़ पर छिपा एक राज,

आंध्र की धरती मुस्कुराए।

नल्लमला की पहाड़ियों में,

हरियाली की चादर बिछी।

प्रकृति की गोद में बसी,

खुशियों की हर झड़ी।

कांची की रेशमी साड़ियाँ,

कला की अनोखी पहचान।

पारंपरिकता का संदेश लिए,

हर दिल में है इसका स्थान।

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